सोमवार, 4 अगस्त 2008

भीड़ में एक चेहरा

कतरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं. मुझे बचाना समंदर की जिम्मेदारी है..दुआ करो कि सलामत रहे हिम्मत मेरी.. ये चिराग कई आंधियों पे भारी है.. वसीम बरेलवी ने जब ये शेर कहा होगा तो शायद उन्हें इस बात का एहसास जरूर रहा होगा कि बुराई के खिलाफ बोलने कहने और लड़ने वाले के लिए कितनी ताकत और हौसले की जरूरत होती है.. जेहानी और उससे भी ज्यादा शायद रूहानी ताकत के सहारे की.. आज कई हफ्तों बाद ब्लॉग पर लिखने का मौका जुटा पाया हूं तो सोचा क्यों ना उस आदमी की बात की जाए जो मेरे लिए भले ही अजनबी है लेकिन उसकी तबीयत के लोगों का कद्रदान होना मेरे लिए किसी खुशकिस्मती से कम नहीं.. नाम है उनका राजेश अग्रवाल और उनका ब्लॉग है सरोकार जिसका पता है.. http://sarokaar.blogspot.com/2008/08/blog-post.html आज यूं ही नेट पर चहलकदमी करते उनके ब्लॉग पर जा पहुंचा... जहां उन्होंने छत्तीसगढ़ के सरगुजा और जशपुर जैसे आदिवासी बहुल जिलों में पांव पसार रही या फिर कहें बेइंतहा गरीबी के बाईप्रोडक्ट के तौर पर पैदा हो रही एक ऐसी बीमारी का जिक्र किया है जो इन लोगों की जिंदगी को नरक बनाए दे रही है। कभी टमाटर की खेती के लिए मशहूर इस इलाके के लोगों की नाबालिग लड़किया गरीबी के चलते देह व्यापार के धंधे में उतारी जा रही हैं और वो भी नौकरी का लालच देकर हालांकि उरांव आदिवासियों के इलाके से इस तरह की खबरें पहले भी आती रही हैं लेकिन छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाए जाने के बाद ये उम्मीद जागी थी कि आदिवासियों की बेहतरी के लिए राज्य सरकार जरूर कुछ करेगी लेकिन इतना वक्त बीत जाने के बाद भी अगर हालात ज्यों के त्यों हैं तो ये वाकई चिंता की बात है...राजेश जी ने जो कुछ लिखा है उससे एक बात तो साफ है कि वर्तमान हालात के लिए सीधे तौर पर वो लोग जिम्मेदार हैं जो इन इलाकों में खेतीबाड़ी से रोजी रोटी पैदा करने के साधनों को पनपने नहीं दे रहे जिसके चलते यहां की मासूम लड़कियों को इस नरक में ढकेलने के लिए नौकरी का लालच दिखा कर महानगरों में लाया जा रहा है और फिर देहव्यापार के कारोबार में ढकेल दिया जाता है.. राजेश जी ने उरांव आदिवासियों की जिंदगी को कैंसर की तरह हर पल तबाह कर रही इस बीमारी को जितनी तफसील से बयां किया है वो हालात को उजागर करने के लिए काफी है... उनकी इस कोशिश का एक सकारात्मक पहलू ये है कि उन्होंने वो सब लिखा है जो एक आवाज बनकर उन लोगों तक पहुंच सकता है जो इसे रोकने के लिए वाकई बहुत कुछ कर सकते हैं..
आपका हमसफर
दीपक नरेश