मंगलवार, 21 जुलाई 2009

सुख







एक चुटकी
आसमान,
दो चुटकी
बादल..
चारपाई
का कोना,
एक मुट्ठी
गुड़धनिया..
रत्ती भर
हंसी ठिठोली..
थोड़ी सी
बात बोली...
सुख को पसरने को
और क्या चाहिए.......