रविवार, 12 अगस्त 2007

खिलौने

खिलौने बच्चों की कल्पनाओं का यर्थाथ होते हैं
और वो उन्हें उतने ही अच्छे लगते हैं
जितने कि वो हमें
नकली मशीनगन पलक झपकते
उन्हें हीमैन बना देती है
और तभी
वाशिंगटन की सड़कों पर
एक बाल हत्यारा पकड़ा जाता है
बारह हत्याओं के जुर्म में
वो नीत्शे को नहीं पढ़ते
उन्होंने हिटलर को नहीं देखा
मगर सुपरमैन जिंदा है
चैनलों पर
तभी तो पड़ोस का रवि
सुपरमैन बनकर उड़ चला था
तिमंजिले से
और आज भी मेरे एंटीने में फंसी पतंग के अवशेष
उसका इंतजार करते हैं..
आज भी सुनाई दे जाता है
करुण रूदन..
कभी-कभी रवि के आंगन से
शायद को शिशु विलाप
उस काली बिल्ली का
जो बंजारन है मेरे मोहल्ले की
कह नहीं सकता..
क्योंकि मैंने कभी रवि की मां को
हंसते नहीं देखा
मगर सुपरमैन अब भी दिख जाता है
मेरी टीवी पर..
और मैं घबराकर टीवी बंद कर देता हूं
अपने बच्चों को मचलने से बचाने के लिए
खिलौनों की दूकान पर

अनुभूति

तुम्हारी चपल मुस्कान,
याकि गांव-पनघट जाती हुई
पनिहारिनों के गान..
मेरे हृदय पर ये चोट
जैसे भोर भए पखेरुओं के
गूंज आए शोर..
लिखने से भी पहले बह गई
कविता कोई अजान..
चैतमासी दोपहर में
अलमस्त धूसर गांव की पगडंडियों पर
दौड़-दौड़ जाती..
तुम्हारी निर्भय चपल मुस्कान
मेरे वृहत्तर सुख का भान..
किसी रासराली चैत की
बंजारन ठुनकती शाम......

Sanguine Sign

With the glory of past and hope of future
When I fly over the mind
Delight in weal, I try to feel
how the God is so much kind
When I am away from the day
He serves to me wondering dreams
When I awake I try to think
How can I catch those thoughts like sultry may...
But the will comes to me
From the word of a great sage
Trust in God and do your duty
Today is going to be a great day.

Truth Untold

I read somewhere
Every good thing comes at a price...
I paid...
Now I owe you
my heart, my love
and my flourished dream
that can never come true...

Stigma of Motion

No impression of movement
but time is there...
to defend the motion,
thoughts trickle down in the mind,
with cascading signs
but the glory of light...
Do we really evercome out of this?
Stigma of motion and stagnation,
the truth is unraveled
every momentwe live and die...
we live and die...

Listen Sunanda ...

Sunanda, can you hear me...
I speak when you are around
I live when you surround
I survive even in circumstances,
that never came ahead to favor me
Do you know Sunanda...
when you find you can't travel anymore
then your dreams are there to propel you
When you are urging to die
Dreams are there to make you live
But what if...
you meander through the lane of memories
and mind refuses to return back
May I call a dream of us
the green carpet of our feelings,
your pampered touch and warmth zeal
under the canopy of blue sky
everything was there...but unseen
What's up...I do live a life for us
you always flourished and escaped
Still I know you will always be there
to cherish our wounded dreams
but would my thoughts ever be so strong
to reveal your presence
that's always unseen
no matter what I achieved.

कवि अग्निशेखर के शब्द..

जब कविताएं वजह बनीं मेरे निष्कासन की,
मैंने और ज्यादा प्यार किया जोखिम से..
निराशा और अवसाद के लम्हों में,
मारी एक लंबी छलांग,
और जिया एक शायर होने की
कीमत अदा करते हुए...
मुझ तक आने के रास्ते में बिछे हैं
तूत के दहकते अंगार..
कौन आता नंगे पांव
मेरी वेदना के पास.....

शनिवार, 11 अगस्त 2007

इंतजार किसका ....

दोस्तों, जिंदगी एक सफर है औऱ हम सब एक मुसाफिर। हर कदम हमें मंजिल के करीब ले जा रहा है और हर पल हम एक एहसास को अपने खाते में दर्ज करते जा रहे हैं। मानो तो ये एक हकीकत है कि हर घड़ी हमें कुछ मिलता है और उसी पल हम कुछ खो भी देते हैं। मगर इन सब के बीच जो सच है वो बस इतना कि हमारे पास गुजरे हुए पल को लौटा लाने की कोई ताकत नहीं है हम केवल उसके एहसास के साथ जी भर सकते हैं तो क्यों ना जिंदगी को एक ऐसे एहसास में तब्दील कर लिया जाए जहां सिर्फ खुशियां हों और एहसास बांटने के लिए ढेर सारे यार.. तो दोस्तों इंतजार किस बात का उठाओ कलम और हो जाओ शुरू..