शनिवार, 28 जून 2008

रियालिटी या क्रूएलिटी शो

आज टीवी रियलिटी शो के एक ऐसे पहलू का दीदार हुआ जो बेहद भयावह है....रंगीन सपनों की दुनिया जैसे नजर आने वाले इन रियालिटी शो की एक प्रतिभागी शिनजिनी को अपने हुनर और काबिलियत का जो ईनाम मिला उसने उसकी जिंदगी की तमाम खुशियां छीन ली..एक जिंदा लाश बनकर रह गई है शिनजिनी.. जिसने भी शिनजिनी को परफार्म करते देखा होगा उसको याद होगा शिनजिनी की मुस्कान उसका मासूम चेहरा उसकी खनकती आवाज और उसका बेहतरीन डांस.. लेकिन रियालिटी शो से निकाले जाने का सदमा शिनजिनी नहीं सह पाई..शिनजिनी ना केवल गहरे डिप्रेशन की शिकार हो गई.. उसको लगे सदमें का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने खाना-पीना तक छोड़ दिया औऱ एक दिन उसकी आवाज भी चली गई.. कहते हैं इसके पीछे शो के जजों के तीखे कमेंट्स भी काफी हद तक जिम्मेवार हैं जो सोलह साल की शिनजिनी की जिंदगी को खुशियों से बेजार कर गए.. शिनजिनी को करीब डेढ़ महीने पहले रियालिटी शो से बेदखल किया गया था लेकिन तब उसकी तबीयत ऐसी बिगड़ी कि फिर शिनजिनी संभल ही नहीं पाई.. कोलकाता की रहने वाली शिनजिनी का पहले स्थानीय अस्पतालों में इलाज कराया गया लेकिन बाद में उसकी मानसिक हालत ज्यादा बिगड़ने के बाद डॉक्टरों ने उसे बैंगलौर के स्पेशियलिटी अस्पताल निमहैंस रेफर कर दिया...फिलहाल शिंजनी बैंगलौर के निमहैंस अस्पताल में भर्ती है और ठीक होने का इंतजार कर रही है।
इस खबर का सबसे दर्दनाक पहलू ये है कि आजतक किसी भी रियालिटी शो की तैयारियों में किसी मनोवैज्ञानिक की सेवाएं नहीं ली गई..मैं ये आरोप इस लिए लगा रहा हूं क्योंकि मैंने कई बार उनके क्रेडिट रोल को गौर से देखा है(क्रेडिट रोल का मतलब शो में शामिल होने वाले लोगों और संगठनों की लिस्ट जो कार्यक्रम के अंत में दिखाई जाती है) लेकिन कभी भी किसी मनोवैज्ञानिक का नाम उस क्रेडिट रोल में पहचान के साथ नहीं दिखा....
और इस सब के बीच एक औऱ खराब बात....टीवी पर बुद्धिजीवी दिखने वाले इन तथाकथित जजों को तो कम से कम इतना संस्कार होना चाहिए था कि कुछ भी अंट-शंट बोलने से बचें इन बच्चों की प्रतिभा के साथ-साथ इनकी मासूमियत को भी तो सहेजा जाए..दुर्भाग्य है वो भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे औऱ रियालिटी शो के जरिये पैसा कमाने वाले लोगों का तो कोई कसूर हो ही नहीं सकता उन्होंने तो सब्जीमंडी में दुकान खोली ही है पैसा बनाने के लिए..दुआ करें कि शिनजिनी जल्दी ही अच्छी हो जाए और अपने घर वापस जाए.. हम फिर से उसे हंसते खिलखिलाते टीवी पर नाचते गाते देखें..
आपका हमसफर
दीपक नरेश

1 टिप्पणी:

ghughutibasuti ने कहा…

रिएलिटी टी वी का दोष तो जो और जितना है, नहीं जानती, परन्तु बहुत समय पहले के देखे गए ऐसे कार्यक्रमों को देख मन केवल यही बात कहता था कि कौन ऐसे माता पिता होते हैं जो अपने बच्चों को अजीब बेढंगे गानों पर नाचने को यहाँ भेज देते हैं। छोटी छोटी बच्चियाँ बेहूदे गानों पर थिरकती हुईं! यदि कोई उन्हें उन गानों का अर्थ बताता तो शायद कभी ना नाचतीं उनपर! माता पिता भी बेहद खुश, जैसे कोई ञहान काम को अंजाम दिया जा रहा हो। हो सकता है कि इस कार्यक्रम विशेष के लिए मेरी बात सही न हो परन्तु मुझे नहीं लगता अविभावक भी निर्दोष हैं।
घुघूती बासूती