शुक्रवार, 27 जून 2008
एक थी आरुषि....
आरुषि हत्याकांड में सीबीआई भी मुश्किलों में घिरती नजर आ रही है। सीबीआई ने जिस तरह से इस हत्याकांड को ब्लाइंड मर्डर बता डाला उससे एक बात तो साफ है कि ये केस या तो अचानक ही सुलझ जाएगा या फिर कभी नहीं सुलझेगा..बीच में ये बात सामने आई कि डॉक्टर तलवार हत्याकांड के बारे में कुछ ना कुछ जरूर जानते हैं लेकिन वो बताना नहीं चाहते वहीं डॉक्टर तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को भी हत्यारा साबित करने में सीबीआई कामयाब नहीं हो पा रही है.. साथ ही वारदात में नौकरों की भूमिका को लेकर जो थ्योरी बनाई जा रही है उसमें भी इतने पेंच नजर आ रहे हैं कि लगता ही नहीं है कि इस तरह से सीबीआई हत्यारे का पता लगा पाएगी। दरअसल मामले की तह में जाकर देखें तो हत्याकांड के अगले दिन जिस तरह से जल्दबाजी में सबूतों को मिटा दिया गया..उससे किसी भी जांच ऐजेंसी को काम करने में दिक्कते खड़ी होनी ही थी..अबतक इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में जो कोशिशें हुई हैं उन्हें सिलसिलेवार ढंग से देखें तो एक बात समझ में आती है कि शुरुआती दौर में जब डॉक्टर राजेश तलवार को कातिल बताया जा रहा था तो उन्हें कातिल साबित करने के लिए जरूरी सबूत नहीं जुटाए जा सके..उसके बाद दुर्रानी परिवार पर शक गया तो उन्हें हत्यारे से ताल्लुक रखने या हत्या की जानकारी होने की बात साबित नहीं हो पाई..दरअसल दुर्रानी परिवार तो तलवार परिवार से ताल्लुक रखने के चलते बदनाम हो गया,.. यूपी पुलिस की लापरवाही से ना केवल उस परिवार का सोशल मर्डर हो गया बल्कि डॉक्टर अनिता दुर्रानी को मैक्स हॉस्पिटल ने अपने एडवाइजरी पैनल से भी बेदखल कर दिया नाम तो गया ही कमाई का जरिया भी बंद हो गया....अब बात करते हैं कृष्णा की.. तो कृष्णा को सीबीआई भले ही कातिल बता रही हो लेकिन सीबीआई को भी पता है की जरूरी सबूत जुटाए बिना वो अपनी बात साबित नहीं कर पाएगी...और अब राजकुमार और दूसरे नौकरों की बात.. नौकर इस वारदात में शामिल हो सकते हैं इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन कोई नौकर किसी लड़की को उसी के घर में जबकि पास के कमरे में लड़की के मां बाप सो रहे थे..अचानक की मार डालने का जोखिम उठा लेगा..ये मुमकिन नहीं लगता और दूसरी बात इतने दिनों बाद भी जो नौकर आसानी से गिरफ्त में आ जा रहे हैं वो अगर कातिल होते तो पुलिस के शिकंजे में इतनी आसानी से नहीं आते.. चाहे जो हो आरुषि हत्याकांड का राज कब खुलेगा ये तो कोई नहीं जानता लेकिन जानने की दिलचस्पी तबतक इसी तरह बनी रहेगी..
आपका हमसफर
दीपक नरेश
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2 टिप्पणियां:
अच्छा लेख। बेहतर आकलन।
मुझे तो लगता नहीं, अभी के हालातों से यह कभी भी निष्कर्ष पर पहुँच पायेंगे. आप सही कह रहे हैं.
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