हम जानते हैं उनकी मक्कारी का मिजाज
उनकी रग-रग से वाकिफ हैं हम..
वो कमजोर और कायर हैं...
डरपोक है दिमाग है उनका..
इसलिए हर दिमागदार से
खौफ खाते हैं वो..
उनकी कोशिशें उनकी हताशा का सबूत है..
उनकी चालों में बू है..
क्योंकि सामने से भिड़ने का साहस वो नहीं रखते
असलियत के आइने में अपनी शक्ल नहीं देख सकते..
(क्योंकि सच से रूबरू होना आसान नहीं होता)
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बिखरे हैं हमारे आस--पास ऐसे ढेरों चेहरे..
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जिनकी आत्मा बेईमानी और मक्कारी की मोहताज बन चुकी है
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उनको माफ करना ऊपरवाले..
क्योंकि उनकी मौजूदगी ऐसी ही है..
मानो किसी साफ-सुथरी कालोनी के पिछवाड़े
फैले हुए मलबे के ढेर.....
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