बुधवार, 21 मई 2008

मासूमियत बचाने की पहल


आज अखबार में एक खबर पढ़ी.. कहने को तो ये कारोबारी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स मे छपी थी लेकिन इसका साबका है उन मासूम बच्चों से है जिनकी जिंदगी में खिलौनों के नाम पर अनजाने ही जहर घुल रहा है।। ब्यूरो ऑफ इँडियन स्टैंडर्ड्स यानी बीआईएस ने यूरोप के ईए 71 प्रावधानों की तर्ज पर तीन हजार करोड़ रुपये के भारतीय खिलौना बाजार में सुरक्षा मानक तय करने के लिए एक समिति बनाई है। ये समिति खिलौनों में खतरनाक रसायनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने से जुड़ी सिफारिशें पेश करेंगी। आपको याद होगा कि अभी हाल ही में चीनी खिलौने से खतरनाक रसायन रिसने के कई मामले सामने आने के बाद अमेरिका ने चीनी खिलौने के आयात पर रोक लगाने की कवायद शुरु कर दी थी।..शुक्र है हमारे देश में ही देर से सही सरकार को सुध तो आई... बीआईएस की ये पहल स्वागत योग्य है।
वैसे चिंता की बात ये है कि भारत मे खिलौना बनाने का ज्यादातक जिम्मा असंगठित क्षेत्र के हाथ में है औऱ इस कारोबार मे जुड़े ज्यादातर लोग सुरक्षा मानकों की परवाह नहीं करते हैं। सस्ते खिलौने मुहैया कराने के नाम पर पीवीसी की बढ़ी हुई मात्रा वाला खिलौना जब मासूम बच्चों के हाथ में जब पहुंचता है तो उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है बावजूद इसके खिलौनों में पीवीसी के स्तर को लेकर सरकार की ओर से कभी भी कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए। आपको बता दूं पॉली विनायल क्लोराइड वो जहरीला रसायन है जो देशभर में मौजूद 35 फीसदी से भी ज्यादा खिलौने में मौजूद है...इसके अलावा कैडियम और लेड जैसे जहरीले पदार्थ तो होते ही हैं। अब सरकार ने सुध ली है तो हमें यही दुआ करनी चाहिए कि ये समिति जो सिफारिशे दे कम से कम उसे लागू करने में राजनेताओं के निजी स्वार्थ ना आड़े आए..
आपका हमसफर,
दीपक नरेश

2 टिप्‍पणियां:

कुश ने कहा…

देर आए दुरुस्त आए.. इस ओर सरकार को ध्यान देना ज़रूरी है.. मासूम बच्चो के जीवन के साथ खिलवाड़ नही किया जा सकता

Udan Tashtari ने कहा…

इसी बात की खुशी है कि सरकार का इस ओर ध्यान तो गया.