शनिवार, 17 मई 2008

दास्तान-ए-छीछालेदर

बॉलीवुड पर ब्लॉग वार.. यानी एक्टिंग की छीछालेदर.. जी हां यही हो रहा है आजकर बॉलीवुड में...अमिताभ हो या आमिर सब अपना-अपना तीर कमान लिए जुटे हैं ..कोई शाहरुख की ऐसी की तैसी कर रहा है कोई सलमान की ..लेकिन समझ में ना आने वाली बात ये है कि भइया आपलोगों की तो उम्र भी नहीं रही पब्लिसिटी की कबड्डी खेलने की तो फिर ये हू..तू...तू...तू...तू..तू...तू क्यों.. भई बड़े लोगों के बड़े चोंचले.. इनके अंदाज निराली तो जाहिर है लड़ाई भी निराले अंदाज में होती है..लेकिन गौर करने की बात ये है कि पहले तो जमकर झांव-झांव करते हैं उसके बाद सलामत रहे दोस्ताना हमारा..का राग छेड़ देते हैं.....ये तो गजब का ड्रामा है भई...अपनी जवानी तो दोस्ती में गुजारी..लेकिन बुढ़ापा खराब कर रहे हैं तू-तू मैं-मैं में.. दोस्तों गौर से देखा जाए तो इस सारे ड्रामे के पीछे एक ही खलनायक है वो है..पैसा..
दरअसल बॉलीवुड की दुनिया में जिस तरह पैसा आ रहा है..या यूं कहें की बॉलीवुड दुनियाभर के निवेशकों के खजाने को लुभा रहा है उससे एक बात तो साफ है कि हर कोई उसमें से ज्यादा से ज्यादा शेयर खाने के चक्कर में है.. अब जबकि एक ही सुपरस्टार का दौर नहीं रहा और नयी फसल ज्यादा ऊर्जा और तेवर के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश कर रही है तो ये लाजमी है कि जमे-जमाए लोग अकुलाहट औऱ बेचैनी महसूस करें...कई सुपरस्टार तो ये भी भूल गए कि जनता के बीच उनकी स्थिति भगवान जैसी है और उन्हें इस तरह लड़ते और ओछी हरकतें करते देखकर उनके चाहने वालों को कितना बुरा लगता होगा..लेकिन भई वो तो सिर्फ एक चीज पहचानते हैं और वो है पैसा..पैसा ही उनका माई-बाप है भगवान है खुदा है.. औऱ खुद वो अगर कुछ हैं तो पैसे के मोहताज..
कुछ सितारों के साथ एक चीज लगता है फेविकोल की तरह चिपक गई है.. और वो है उनकी निजी जिंदगी का ड्रामा... इनकी कहानी में कुछ ट्विस्ट है.. कुछ पेंच है.. और अगर कुछ नहीं है तो खुद वो ही ड्रामा बने हुए हैं.... यहां एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि मैंने इस पूरे लेख में किसी स्टार का नाम नहीं लिया है और ना ही लूंगा इसकी वजह ये है कि मैं किसी भी स्टार के चाहने वालों को आहत नहीं करना चाहता ..लेकिन भइया.. जब इन लोगों को हैसियत छोड़कर औकात पर उतरते देखता हूं तो कष्ट होता है.. ऐसा लगता है कि इन लोगों को इस बात से कोई मतलब ही नहीं कि इनको स्टार बनाने वाली जनता है औऱ जनता की नजरों में गिरने के बाद इनको पूछनेवाला कोई नहीं होगा। ....ये पूरा लेख अधूरा रह जाएगा अगर मैंने यहां इस बात का जिक्र नहीं किया कि कमाई की दौड़ में इज्जत आबरू रण में छोड़ सरपट दौड़ रहे इन सुपरस्टारों में कई ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी ओछेपन की चादर नहीं ओढ़ी है और इस दास्तान-ए- छीछालेदर से दूर अपने काम में पूरी संजीदगी से जुटे है.. (वैसे ये भी गौर करने वाली बात है कि इनमें से कई ऐसे भी हो सकते हैं जो अभी इतने बड़े स्टार नहीं बने कि दास्तान-ए-छीछालेदर कर सके)..
आपका हमसफर
दीपक नरेश

3 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

सिनेमा स्टार के ब्लागबार के बारे में सही लिखा है।

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

sahi baat hai yaar 'ye kya ho raha hai'

samagam rangmandal ने कहा…

घटना का आर्थिक पक्ष बहुत महत्वपूर्ण होता है।bigadda अंबानी का है।दोस्त की कंपनी का प्रचार चल रहा है।कैसी बातो से हलचल होती है,फिल्म वाले अच्छे से जानते है।
अमिताभ जी को अगर creative relief चाहिए तो अपने पिता की तरह क्यो नही लिखने की कोशिश करते,लेकिन न तो उससे दोस्त का भला होगा न हि हलचल।