मंगलवार, 13 मई 2008

कुछ भूले बिसरे लोग..

भजनों नाटकों और एकांकियों के जरिये देशभर में आध्यात्मिक जागरण की अलख जगाने वाले पं राधेश्याम कथावाचक का भले ही आज उतना नाम ना लिया जाता हो लेकिन उन्हें जानने वाले इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि उन्होंने रामकथा को एक ऐसी शैली में पेश किया कि वो गांव के चौपाल से निकल कर रामलीला और रंगमंच से होते हुए जन-जन के मन में समा गई।
पं राधेश्याम जी का जन्म बरेली के परम भागवत पंडित बांके लालजी के पुत्र के रूप में 25 नवंबर 1890 को हुआ था उनके पिता ने उन्हें गायन औऱ धार्मिक पदों की रचना करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया. रामचरितमानस उनका सबसे पसंदीदा ग्रंथ था लिहाजा उन्होंने रामकथा के ही काव्यमय लेखन करने का फैसला किया.. जब उनकी राधेश्याम रामायणी तैयार हुई तो फिर उसे लोगों तक पहुंचने औऱ लोकप्रिय होने में देर नहीं लगी. पंडितजी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस दौर की सबसे मशहूर नाटक कंपनी न्यू अल्फ्रेड ने भी पंडितजी के कई नाटकों का मंचन करने का फैसला किया, कहना ना होगा कि उनकी राधेश्याम रामायणी की तरह उनके नाटक भी काफी लोकप्रिय हुए..
बरसों पहले गांव में रामलीला देखने के दौरान सुनी हुई राधेश्याम रामायणी की चंद पंक्तियां..ये प्रसंग है शूर्पनखा औऱ रावण के बीच संवाद का..जब शूर्पनखा ने नाक काटे जाने पर रावण से जाकर दुखड़ा रोया था..

हे भाई दो लड़के राम-लखन
इस दंडक वन में आए हैं..
सीता सुकुमारी नारी को
अपने ही संग में लाए हैं..
बांके औऱ वीर लड़ाके हैं..
गोय़ा शमशीर उन्हीं की है
वो पंचवटी में रहते हैं..
मानों जागीर उन्ही की है..
नागाह उधर से निकल पड़ी..
उस नारी से मिलना चाहा..
बदले में निगोड़े लक्ष्मण ने.
उससे कुछ छल करना चाहा..
जब मैंने तेरा नाम लिया..
सुनते ही उसने दी गाली..
औ' मेरे कान काट लाए
औऱ मेरी नाक काट डाली...

दोस्तों..मौका लगे तो इसे पढ़िए,.राधेश्याम प्रेस बरेली ने राधेश्याम रामायणी का प्रकाशन भी किया है...काफी दिलचस्प अनुभव रहेगा ।

आपका हमसफर
दीपक नरेश

3 टिप्‍पणियां:

sanjay patel ने कहा…

पारसी थियेटर युग के इस महानायक के स्मरण के लिये साधुवाद दीपक भाई

mamta ने कहा…

शुक्रिया इस जानकारी के लिए। आगे भी इंतजार रहेगा।

Unknown ने कहा…

Bahut hi achha lagta hai sunne me.

mere papa hamesha sunate the ,ab vo is duniya me nahi hai, keval unki awaaze dil me hain.