खूबसूरती के शहर जयपुर पर आज आतंकवाद का काला साया पड़ गया। एक के बाद एक तेरह धमाकों ने सत्तर से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली.. लेकिन ये महज एक आतंकवादी घटना नहीं समझी जानी चाहिए.. इंसानियत के दुश्मन इससे जो हासिल करना चाहते हैं वो मकसद कुछ भी क्यों ना हो.. किसी के भले के लिए तो कतई नहीं हो सकता.. बेकसूर और निरीह लोगों की जान लेने वाले इन दरिंदों का भले ही इस बात से वास्ता ना हो कि मरने वाले कौन हैं लेकिन आखिर वो भी तो इंसान ही थे..और आतंक के इन सौदागरों के मकसद से उनका दूर-दूर तक वास्ता भी नहीं था.. तो फिर उनको निशाना क्यों बनाया गया..दुनियाभर में आतंकवाद का जिस तरह एक सुर में विरोध हो रहा है उससे आतंकवादियों में हताशा होनी स्वाभाविक है... वैसे भी पिछली कई घटनाओं को देखकर एक बात तो साफ है कि आतंकवादियों का कोई धर्म ईमान नहीं.... हैदराबाद की मक्का मस्जिद हो या फिर वाराणसी का संकटमोचन मंदिर.. जब उन्होंने खुदा या भगवान (अगर ऐसी किसी सत्ता में इन आतंकियों का यकीन हो तो) के घर को नहीं बख्शा तो फिर इंसानी जिंदगी को वो कितनी तवज्जो देते होंगे इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.....हम जानते हैं कि आतंकवाद का साया अब हमारे जेहन से उतर कर रूह में पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन कहते हैं ना कि हर वो मंसूबा जिसका पूरा करने का तरीका पाक ना हो वो कभी कामयाब नहीं हो सकता...दुनिया के किसी कोने में बैठकर ये आतंकी भले ही इस वक्त अपने मिशन की कामयाबी पर मुस्करा रहे हों..लेकिन इन लोगों को बेकसूर इंसानों का खून बहाने की कीमत चुकानी ही पड़ेगी..चाहे आज चाहे कल....
आपका हमसफर,
दीपक नरेश
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