शनिवार, 31 मई 2008

चरैवेति..चरैवेति यानी चरते रहो..चरते रहो



एक जगह बांग्लादेशी हमसे बाजी मार गए...ये हुनर तो हमारे नाम पेटेंट होना चाहिए था..ऐसी कलाकारी के लिए तो हमारे देश के राजनेता ही कुख्यात..माफ कीजिएगा विख्यात हैं.. फिर बांग्लादेश इस बार कैसे बाजी मार गया.. जब ये खबर हमारे देश के नेताओं के कानों तक पहुंची तो उन्हें बेहद अफसोस हुआ.. ..लेकिन ये अचंभा हुआ कैसे...कहां हुई चूक..हर जगह भारी पड़ने वाले नेताओं के लिए ये मौका हाथ से कैसे निकल गया...नेताओं का जमावड़ा हुआ..सब जुटे और मिलबैठकर दिमागी घोड़े--गदहे जो भी होते हैं दौड़ाना शुरु कर दिया.. आखिर हमारे रहते इस पिद्दी से देश की ये मजाल कि जो खबर हममें से किसी की तारीफ से जुड़ी होनी चाहिए थी उसमें उनकी फोटू और नाम चमक रिया है.....चंद नेता जिनको अब तक पता भी नहीं था कि माजरा क्या है चुपचाप टुकटुकी लगाए हर बोलने वाले शख्स की सूरत निहार रहे थे..मन ही मन कुलबुला रहे थे कि काश एक बार मुद्दा पता चल जाता तो किसी को बोलने का मौका ही नहीं देता..हर किसी की डुग्गी बजा देता...मुझसे बड़ा बातूनी अफलातून कोई है यहां पर.. एक बार मुद्दा हाथ लग जाता तो ऐसा बोलता ऐसा बोलता कि सबकी बोलती बंद कर देता.....तभी एक आवाज हवा में गूंजी..खाआआआआ...मोशशशश.. मतलब साफ था मुद्दे का खुलासा होने वाला था.. एक कद्दू जैसी काया और बैगनी रंग से सराबोर नेता ने बामुश्किल बदन संभाल रहे पैरों को एक दूसरे का सहारा दिया और बैठे हुए सभी नेताओं के बीच से उठकर अंतरिक्ष से अपनी दूरी तनिक कम की...जुबान की गरदन गुटखा सहलाते सहलाते पहले ही टें हो चुकी थी सो उसी जुबान को मुंह में योगा कराने के बाद मुंह खोला और फिर फूटे चंद अल्फाज..भाइयों....नेता जाग चुके थे..मुंह खुल चुका था मुद्दा बस अब एक ही पल में हवा में अवतार लेने वाला था.....नेता जी जारी हो चुके थे.....ये बेहद अफसोस की बात है कि हम नेताओं के साफ सुथरे काजली इतिहास में कभी भी ऐसा मौका नहीं आया जब इतनी ज्यादा शर्मिंदगी और जलालत झेलनी पड़ी हो...हमारे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना जो हम नेताओं के हुनर के मामले में हमारी मुंहबोली बहन लगती है.... उन पर भ्रष्टाचार के कुछ मुकदमें चल रहे थे...लेकिन आज ही ये ब्रेकिंग न्यूज मिली की उनके मुकदमें के अहम कागजात दीमक चाट गए...उनके वकीलों ने विशेष अदालत में जिरह के दौरान बताया कि कई पन्ने तो इतनी बुरी तरह खराब हो चुके हैं कि उन्हें पढ़ा ही नहीं जा सकता.....इतना ही नहीं इस बात की तस्दीक कराने के लिए कीड़ों की खाई फाइलों को अदालत में पेश भी किया गया..अब आप लोग ही तय कीजिए कि हिंदोस्तान में थोक के भाव हमारी जमात उपलब्ध है लेकिन ये यक्क आइडिया हम में से किसी के जेहन में क्यों नहीं आया.. सोचिए अगर ये फार्मूला हमारे हाथ पहले आ गया होता तो हमारे कितना सारे नेता भाइयों को जेल से अब तक छुड़ा लिया जाता उनको आजादी की खुली हवा में सांस लेने का मौका मिल जाता..हम में से कई बंधु कितनी तरह की तोहमत के साथ जी रहे हैं उनसे कब ना मुक्ति मिल जाती..
------मुद्दा सामने था.. सब शोक मना रहे थे कि ये फार्मूला अगर पहले ही उन तक पहुंच जाता तो कितना अच्छा रहता..आखिर आमराय ये बनी कि भले ही इस तरीके का इजाद बांग्लादेश में हुआ लेकिन इसको पेटेंट कराने की अर्जी दी जाएगी और ये साबित करने की कोशिश की जाएगी की ये फार्मूला चोरी का है और इसे हमारे देश से चुराया गया है ...इतना ही नहीं ये भी साबित करने की कोशिश की जाएगी कि काम के मामले में दीमक हमारे भाई हैं लिहाजा उनके सरंक्षण संवर्धन के लिए हर गांव गली कस्बे में एक संरक्षण केंद्र खोला जाएगा.. ताकि देश की तकदीर बनाने में उनका भी सक्रिय योगदान लिया जाए.....
------ और इस प्रस्ताव के साथ बैठक का समापन हो गया।
आपका हमसफर
दीपक नरेश

1 टिप्पणी:

dpkraj ने कहा…

आपका व्यंग्य बहुत प्रभावी और रोचक है
दीपक भारतदीप